रविवार, ७ एप्रिल, २०१३

खेळ शब्दांचा
कागदावरी
कल्लोळ भावनांचा
बोहल्यावरी
........................अस्मित



आइना पूछता रहा कहानी मेरी तनहाई की,
मैंने रूबरू किया ख़ुद्के जनाज़े से उसे
...........................................अस्मित