कहा था...!!!!
कहा था तुमसे कोई याद छोड़ के मत जाना अपनी,
फिर भी जाते हुए तेरे पैरोंने अपने निशान बना दिए मेरे दिल पे.
क्यूँ दे गये अपना पता, जबकि उस घर में मेरा आना मना था.
भिजवा दिये वो ख़याल जिसमें तेरी खुशबू बसी थी,
लेकिन मेरे सासोंको पनाह देना तुम्हें नामंज़ूर था.
तुम्हारे हर एक सुर का अपने कानों में बसेरा बनाया था मैने
मेरी हर एक मैफिल को वीरान कर दिया तुमने
तुम दे गये मुझे जीने की वजह,
लेकिन मेरा मर जाना कबूल था तुम्हे - अस्मित