मंगळवार, २ ऑगस्ट, २०११


तो क्या हुआ अगर मैने तुम्हारे लिये चांद तारे नही तोडे,
मेरी सांसे तो तुम्हे दी मैने,
क्या हुआ अगर तुम्हारी सेज फुलोन्से नही सजाई,
तुम्हारा सर सिने पे रखकर राते काटी मैने,
ताकी तुम अपने सपनोंको पुरा कर सको,
माना कि मैने तोह्फे मे कभी गेहने नही दिये,
लेकीन तुम्हारे रास्ते मे मुश्किले न आये इसलिये तुम्हारा रास्ता बना रहा..........
क्या हुआ अगर तुम्हारे लिये वक्त नही निकाल पाया ,
तुम्हारे लिये घर तो बनाया मैने....
क्या हुआ अगर तुम्हारे साथ नही हुं.....
तुम्हारा दिल तो संभाला मैने... आजतक
और शायद हमेशा के लिये...!!!

-अस्मित

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